आज की भाग-दौड़ की जिन्दगी में महिलाएं आए दिन ब्यूटी पार्लरों की शरण लेने लगी हैं। आज ब्यूटी पार्लर की यह बीमारी महानगरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में भी फैलती जा रही है। ब्यूटी पार्लरों में जाने से काफी पैसा भी खर्च होता है तथा विभिन्न रासायनिक पदार्थों के प्रयोग…
असग़र वजाहत (जन्म – 5 जुलाई 1946) – हिन्दी साहित्य में महत्त्वपूर्ण कहानीकार एवं नाटककार के रूप में सम्मानित नाम हैं। इन्होंने कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, फिल्म तथा चित्रकला आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण रचनात्मक योगदान किया है। इन्होने दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में लगभग 40 वर्षों तक अध्यापन किया एवं हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे । हम उनके…
मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय ‘अपराधी’ हैं, जिसने अपने हर अपराध का साक्ष्य इकट्ठा कर हमें सौंप दिया है. हमें जब, जहां, जैसी जरूरत होती है, हम उसका इस्तेमाल कर उन्हें सजा दे देते हैं. फिर हम खुद से ही पूछते रह जाते हैं कि हमने यह क्या किया? गांधी हर बार किसी व्यक्ति…
लद्दाख में भारत और चीन की सीमा पर लगातार बने हुए तनाव के बीच, जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी किए गए दो निर्देशों की वजह से कश्मीरी अवाम में चिंता और घबराहट का माहौल बन गया है. ये दो निर्देश कश्मीर में एलपीजी सिलिंडरों के दो महीनों के स्टॉक की उपलब्धि सुनिश्चित करने और गांदेरबल…
जेएनयू के एक वेबिनार में भारतीय इतिहास को लेकर सेवानिवृत्त मेज़र जनरल, जी.डी.बख़्शी के “सरस्वती सभ्यता” पर व्याख्यान में किये गये एक-एक दावों को लेकर पुरातत्वविद शिरीन रत्नागर ने जवाब दिया है। कई वर्षों से सिंधु घाटी सभ्यता पर काम कर रहीं प्रख्यात पुरातत्वविद् रत्नागर की अब तक कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्हें…
असग़र वजाहत (जन्म – 5 जुलाई 1946) – हिन्दी साहित्य में कहानीकार एवं नाटककार के रूप में सम्मानित नाम है । कहानी, नाटक, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, फिल्म तथा चित्रकला आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण रचनात्मक योगदान किया है। इन्होने दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में लगभग 40 वर्षों तक अध्यापन किया एवं हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे । हम उनके जामिया से…
कितने लोगों ने डॉ. अम्बेडकर की अगुवाई में छेड़े गए पहले ‘दलित विद्रोह’ अर्थात महाड़ सत्याग्रह (1927) के बारे में पढ़ा होगा और यह जाना होगा कि किस तरह उसके पहले चरण में (19-20 मार्च) को महाड़ नामक जगह पर स्थित चवदार तालाब पर हजारों की तादाद में लोग पहुंचे थे और उन्होंने वहां पानी…
सत्यम श्रीवास्तव रसभरी के बहाने स्वरा पर हमले असल में मर्दवादी हिन्दू राष्ट्रवाद के खिलाफ मुखर होने की कीमत है जो उन्हें अदा करनी पड़ रही है. रसभरी को लेकर दर्शकों की सामान्य प्रतिक्रियाएं बहुत अच्छी नहीं मिल रही हैं. स्वरा भास्कर को घेरने के लिए एक मौके की तलाश में बैठे लोगों को इस…
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