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Month: September 2020

सक्रिय राजनीति में भी देव आनंद ने खुद को अपने समकालीन अभिनेताओं से कहीं आगे साबित किया था.

पवन वर्मा आपातकाल के बाद देव आनंद ने हिंदी फिल्म जगत के कई दिग्गजों के साथ मिलकर एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया था.यह 1979 की बात है जब देव आनंद ने संजीव कुमार, धर्मेंद्र, शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी सहित फिल्म उद्योग के कुछ और दिग्गज लोगों को साथ लेकर एक राजनीतिक पार्टी बनाने…

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कृषि विधेयकों के खिलाफ देशभर में सड़कों पर उतरे किसान, पंजाब, हरियाणा और बिहार में आंदोलन तेज

संसद में हाल ही में पारित कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ आज शुक्रवार को देशभर में किसान संगठन ने भारत बंद का आह्वान किया इसका सबसे बड़ा असर पंजाब और हरियाणा में देखने के मिला रहा है जैसे जैसे दिन चढ़ा बिहार में भी आरजेडी के नेता और सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी…

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कपिला वात्स्यायन के निधन ने साबित किया है कि संस्कृति की असल पहचान से ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवादी’ कितने दूर हैं

शंकर शरण सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों की दृष्टि अपनी पार्टी का प्रचार, पार्टी नेताओं की पूजा-आरती और दूसरों की निंदा से आगे कभी नहीं जा सकी. यदि वे धर्म और संस्कृति को सर्वोपरि समझते तो उनका रिकॉर्ड बहुत भिन्न रहा होता. कपिला वात्स्यायन जैसी अनूठी विदुषी के निधन पर राष्ट्रीय नेताओं की चुप्पी ने ध्यान खींचा. इसलिए भी क्योंकि…

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नेताओं के लिए अपमानजनक शब्द कहने मात्र से राजद्रोह का केस नहीं बनता: जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट

विप्लव अवस्थी राजद्रोह का यह कानून अंग्रेजों के जमाने का है। तब अंग्रेज इस कानून का इस्तेमाल उन भारतीयों के ख़िलाफ़ करते थे, जो अंग्रेजों की बात मानने से इनकार कर देते थे। ये कानून 1870 में वजूद में आया था। बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी को भी राजद्रोह का आरोपी बनाया गया था।…

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कहानीः उड़ान- कृष्ण बलदेव वैद

कृष्ण बलदेव वैद (27 जुलाई 1927 – 6 फ़रवरी 2020) हिन्दी के आधुनिक गद्य-साहित्य में सब से महत्वपूर्ण लेखकों में गिने जाने वाले साहित्यकार कृष्ण बलदेव वैद ने डायरी लेखन, कहानी और उपन्यास विधाओं के अलावा नाटक और अनुवाद के क्षेत्र में भी अप्रतिम योगदान दिया। कृष्ण बलदेव वैद की लेखनी में मनुष्य जीवन के…

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एक सदी से पूंजी के जाले में फंसा किसान क्या करे ?

शिवाजी राय देश में जब खेती उत्पादन का मुख्य साधन थी, तब भी किसान यानी खेत जोतने वाला जमीन का मालिक नहीं था। किसान सिर्फ उत्पादन के साधनों में एक यंत्र के रूप में काम आता रहा है जिससे कंपनीराज (ईस्ट इंडिया कंपनी) से लेकर के ब्रिटिश हुकूमत तक भारी टैक्स वसूला जाता था जो…

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असम: नेहरू पर पाठ, अयोध्या विवाद, गुजरात दंगों को सिलेबस से क्यों हटाया बीजेपी ने?

दिनकर कुमार बीजेपी पर आरोप है कि देश की बहुलतावादी धर्मनिरपेक्ष छवि को बदलने की जिद में वह सत्ता में आने के बाद से ही शिक्षा को निशाना बनाती रही है। ताजा उदाहरण असम में सामने आया है। मंडल आयोग की रिपोर्ट, जवाहरलाल नेहरू पर पाठ, 2002 के गुजरात दंगों और जाति और हाशिए के समाज…

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पाप चुनाव लड़ना नहीं, पाप अपनी सरकारी नौकरी को चुनावी अभियान में बदल देना है गुप्तेश्वर बाबू!

पुष्यमित्र दो-दो बार वीआरएस लेना, वीआरएस लेकर फिर सेवा में वापसी करना, एक दिन के आवेदन पर वीआरएस मिल जाना। रिटायरमेंट से महज पांच महीने पहले वीआरएस मिल जाना। वीआरएस के दूसरे आवेदन पर पहले मामले का विचार नहीं करना। ऐसे संयोग अमूमन किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी के साथ नहीं होते। मगर बिहार के…

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मार्च से जून के बीच सड़क दुर्घटनाओं में 29,415 की मौत, लेकिन कौन थे ये लोग?- राजू साजवान

सरकार ने संसद को बताया कि लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी श्रमिक सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, उनके पास इसके आंकड़े नहीं हैं लेकिन 22 सितंबर 2020 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने जानकारी दी कि मार्च से जून 2020 के दौरान 81,385 दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 29,415…

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जिसे न दे मौला, उसे दे आसफ़ुद्दौला

अनुराग भारद्वाज नवाब आसफ़ुद्दौला अवध का एक रंगीन मिज़ाज और दरियादिल नवाब था जिसने एक दफ़ा तो अपने खानसामे को वज़ीर बना दियाशुजाउद्दौला के बाद नवाब आसफ़ुद्दौला को फ़ैज़ाबाद की गद्दी मिली थी. वह अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लेकर लखनऊ आया. इसके अलावा भी आसफ़ुद्दौला को कई खास बातों के लिए याद किया जाता…

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