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Year: 2021

सआदत हसन मंटो : जो खुद को अपनी ही जेब काटने वाला जेबकतरा मानते थे

कविता सआदत हसन मंटो के ही शब्दों में कहें तो उन्होंने अफसाने नहीं लिखे थे, बल्कि अफसानों ने उन्हें लिखा वे जानते थे शायद नेकनामी की तरफ जाने वाले रास्ते की पहली सीढ़ी बदनामी ही है. उनके प्रिय दोस्त और शायर साहिर लुधियानवी के शब्दों में कहें तो मंटो मानते थे-‘बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं…

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मोहम्मद अली : जिनका बड़बोलापन शायद दुनिया से उनका प्रतिशोध था-प्रियदर्शन

मोहम्मद अली में कई चीज़ें थीं जिनसे समझदार आदमी को नाक-भौं सिकोड़नी चाहिए. लेकिन इन सभी पर वह सच्चाई भारी थी जिससे लड़ते हुए वे अपने मुकाम तक पहुंचे जहां मोहम्मद अली और पेले मुक्केबाज़ी और फुटबॉल में अपनी तरह का अश्वेत आंदोलन रहे वहीं, ध्यानचंद और जेसी ओवंस ने बर्लिन ओलंपिक में हिटलर का…

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किसान नेताओं, समर्थकों को NIA का समनः दबाव बनाने और डराने की कोशिश

हाल ही में एनआईए ने लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को समन भेजा है। सिरसा किसान आंदोलन में खासे सक्रिय हैं। विदित हो कि इसके पूर्व किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले  पंजाबी गायकों और किसान नेताओं पर आयकर विभाग (आईटी) की छापेमारी की ख़बरें आई थीं। उस मामले में भी…

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फिर वे मेरे लिये आये, कोई बचा नहीं था मेरे लिये बोलने को- अपूर्वानंद

रिहाई के बाद नीमोलर ने जो मंथन किया उससे वे इस नतीजे पर पहुँचे कि यहूदियों का जो क़त्लेआम हुआ, उसमें उनकी तरह के जर्मनों की खामोश भागीदारी थी। उन्होंने सामूहिक अपराधबोध की बात की। इस कारण वे जर्मनी में अलोकप्रिय हो गए भले ही जर्मनी के बाहर उनकी शोहरत उनके इस सिद्धांत के कारण…

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हिन्दू कालेज दिल्ली वेबिनार- नाटक की सार्थकता उसके पढ़े जाने में नहीं, उसके देखे जाने में : असग़र वजाहत

नाटक पढ़ने की चीज नहीं है, वह देखे जाने की चीज है। नाटक की सार्थकता उसके मंचन किये जाने में होती है। नाटक में निहित अथाह संभावनाओं के कारण इसमें लोगों की रुचि बनी रहती है, क्योंकि नाटक के भीतर विश्लेषण की, नए आयाम खोजे जाने की बहुत संभावनाएं होती हैं। सुप्रसिद्ध साहित्यकार और नाटककार…

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वंशवादी राजनीति, आज़ादी के नारों के बीच ‘तांडव’

दीपाली श्रीवास्तव ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेज़ॉन प्राइम वीडियो पर पॉलिटिकल ड्रामा वेब सीरीज़ ‘तांडव’ रिलीज़ हो चुकी है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार था। सीरीज़ की कहानी दो तरह की राजनीति के ईर्द-गिर्द घूमती है। एक तरफ़ प्रधानमंत्री की कुर्सी को पाने के लिए दांव-पेंच लगाये जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी राजनीति कॉलेज कैंपस…

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मार्टिन लूथर किंग जूनियर : जिनके लिए ईसा मसीह प्रेरणास्रोत थे और महात्मा गांधी मार्गदर्शक

अव्यक्त ‘गांधी का संदेश इतना गहरा और विचारोत्तेजक था कि उस सभास्थल से मैं निकला और सीधे जाकर गांधी के जीवन और कार्यों के बारे में आधा दर्जन किताबें खरीद लाया.’ अपनी आत्मकथा में उन्होंने अपने विचारों और कार्यों पर महात्मा गांधी के प्रभाव के बारे में विस्तार से लिखा है. चार जुलाई, 1965 को…

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नानी पालकीवाला सरीखे वकीलों ने ही भारत का संविधान और इसके नागरिकों के अधिकार बचाए हैं

अनुराग भारद्वाज नानी पालकीवाला. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए की गई उनकी इन बहसों ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर संसद तक के खंभे हिला दिए थे. खासकर इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल के विरोध में नानी पालकीवाला का योगदान हमेशा याद किया जाएगा.नागरिकों के अधिकारों की पैरवी के लिए नानी पालकीवाला…

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फ़िल्मकार सईद मिर्ज़ाः इंसानियत की तलाश में एक शख्सियत का नाम है

गोपाल नायडू इंटरनॅशनल कल्चरल आर्टिफॅक्ट फिल्म फेस्टिव्हल  (ICA ) का आयोजजन पुणे, महाराष्ट्र में  प्रति वर्ष होता है। इस साल यह फेस्टीवल 17 से 31 जनवरी के बीच आयोजित किया जा रहा है।  इस साल इंटरनॅशनल कल्चरल आर्टिफॅक्ट फिल्म फेस्टिव्हल में लेखक-निर्देशक सईद मिर्जा को जीवनगौरव पुरस्कार से  सन्मानित किया जाएगा. इस मौके पर सईद मिर्जा के व्यक्तित्व और कृतित्व…

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अंतरधार्मिक विवाह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद हालात बदलेंगे?

सोनिया यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि स्पेशल मैरिज ऐक्ट  के तहत शादी करने वाले जोड़ों को अब किसी सार्वजनिक नोटिस की ‘बाधा’ से नहीं गुज़रना होगा। नोटिस को अनिवार्य बनाना ‘स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन’ होगा। उत्तर प्रदेश में एक ओर बीजेपी की योगी आदित्यनाथ…

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