आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है. महात्मा गांधी का मानना था कि कलम की निरंकुशता खतरनाक हो सकती है, लेकिन उस पर व्यवस्था का अंकुश ज्यादा खतरनाक है महात्मा गांधी ने अपनी पहली और सबसे महत्वपूर्ण किताब ‘हिंद स्वराज’ संपादक और पाठक के बीच सवाल-जवाब के रूप में लिखी थी. इस किताब में पाठक की भूमिका […]
Read Moreउर्मिलेश सन् 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान देश के करोड़ों मज़दूरों और उनके परिजनों की यंत्रणा, बेहाली और तकलीफ़ के बारे में जब कभी याद किया जायेगा, सत्ताधारियों की ‘हिन्दुत्व-वैचारिकी’ पर भी सवाल उठेंगे। लंबे समय तक यह सवाल मौजूदा सत्ताधारियों का पीछा करता रहेगा कि एक स्वतंत्र देश की निर्वाचित सरकार अपने […]
Read Moreआनंद दत्त – झारखंड सरकार अपने मजदूरों को हवाई मार्ग से ला रही है। ये मजदूर लेह, लद्दाख, करगिल जैसे दुर्गम इलाके में फंसे हुए थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर जानकारी दी।उन्होंने कहा कि पहली खेप में कुल 60 मजदूर वापस आ रहे हैं। ये सभी झारखंड के दुमका जिले के रहनेवाले हैं। इनके […]
Read Moreरिचर्ड महापात्रा ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय मुझे बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर मिले हैं, जो अक्सर कहते हैं, “परेशान होकर हम शहरों में आए हैं. हम गांव में थोपी गई जाति व्यवस्था के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं.” ऐसा नहीं है कि केवल गांव ही “महान भारतीय जाति व्यवस्था” का […]
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