प्रभात ज़िंदगी भर लाल परचम लिए घूमते रहे कैफ़ी की अवाम, उसमें निहित ऊर्जा और उसकी सत्ता में अगाध आस्था है. इसी अवाम के लिए वह सिर्फ शब्दों से आस्था नहीं गढ़ते रहे, उसके संघर्षों में लगातार साथ होकर जूझते भी रहे. सफलता-असफलता की उन्हें कोई परवाह नहीं थी. उनका दृढ़ मत रहा कि देर-सबेर […]
Read Moreपवन उप्रेती आज़ादी के बाद शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा कि लाखों लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर बैठ गए हों और हालात सरकार के क़ाबू से बाहर चले गए हों। जम्हूरियत होने के चलते इस मुल्क़ में जेपी आंदोलन से लेकर अन्ना आंदोलन तक हुए हैं, जिनमें नेताओं के […]
Read Moreकिसान आंदोलन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की एक कमिटी बनाई थी. इन चार में से एक सदस्य यानी भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमिटी से अलग कर लिया है. सरकार के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका है. उल्लेखनीय है कि भूपिंदर सिंह मान के नाम पर शुरू से बवाल हो […]
Read Moreप्रताप भानु मेहता सुप्रीम कोर्ट अब एक ऐसे बेढब दिखने वाले फंतासी पात्र की तरह दिखने लगा है, जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है। इसका स्वरूप रहस्यमय तरीके से बदलता रहता है, मासूम चेहरा इसकी ज़हरीली फुफकार को ढँक देता है, और ज़रूरत के हिसाब से आकार बदलता रहता है। अदालत संवैधानिक क़ानूनों […]
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