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Month: September 2020

बस्तर: ‘मानवाधिकार कार्यकर्ताओं’ को छह लाख मुआवजा,पेश नहीं हुए पूर्व आईजी कल्लूरी

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ सरकार ने नंदिनी सुंदर, अर्चना प्रसाद और संजय पराते सहित छह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस द्वारा झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी कर दिया है। इस संबंध में सुकमा प्रशासन ने पीड़ितों से संपर्क किया है।…

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सिनेमाई संघर्ष में औरत की जिंदगी का मुरब्बा खराब क्यों हो जाता है?

अपर्णा कोरोना महामारी ने एक चीज यह तो कर ही दी है कि एकदम ताज़ा फ़िल्में हमारे घर तक पहुँच गयी हैं। सिनेमा हॉल जाने की ज़हमत फ़िलहाल कोरोनाकाल तक के लिए खत्म हो गयी है। वैसे सिनेमाहॉल के घुप्प अँधेरे में बैठकर आँखें फाड़े हुए फिल्म देखने का मज़ा ही कुछ और होता है,…

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कहानीः तीन प्रश्न – लियो टॉल्सटॉय

रूस  के एक सम्पन्न परिवार में जन्मे लियो टॉल्सटॉय विश्व के सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में से एक हैं । उन्होंने रूसी सेना में भर्ती होकर क्रीमियाई युद्ध में भाग लिया, लेकिन अगले ही वर्ष सेना छोड़ दी । युद्ध और शांति तथा अन्नाकेरेनिन्ना जैसी विश्व प्रसिद्ध किताबों के रचयिता टॉल्सयॉय ने अनेक यादगार कहीनियां लिखीं…

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सुप्रीम कोर्ट सरकार की इच्छा के अनुसार ही काम कर रहा है: प्रशांत भूषण से आशुतोष की बातचीत

देश की सर्वोच्च अदालत ने आपराधिक अवमानना के मामले में दोषी ठहराए गए जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण पर सजा के रूप में 1 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कहा था कि वे यह फ़ाइन दे देंगे। प्रशांत भूषण से बात की वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने। पढ़िए- आशुतोष:…

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क्या बाइडेन को चुनने से अमेरिकी जनता ताड़ से गिर कर खजूर पर अटकेगी? – अपूर्वानंद

अमेरिका में बाइडेन को लेकर ऊहापोह का हवाला दबाशी के लेख में है। नोम चोम्स्की, अंजेला डेविस, कोर्नेल वेस्ट जैसे विचारक कह रहे हैं कि ट्रम्प अमरीका की आत्मा को ही खा डालेगा, इसलिए बाइडेन को चुन लिया जाना चाहिए। बाइडेन भी नस्लवादी हैं, वे फ़िलीस्तीन की आज़ादी के ख़िलाफ़ एक ज़ियानवादी नज़रियेवाले राजनेता हैं…

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मीडिया आजाद है! – पुण्य प्रसून वाजपेयी

 “बिजनेस के तौर-तरीकों ने जनता के बीच मीडिया की साख पर सवाल खड़े किए” ।सवाल है कि मीडिया की भूमिका क्या होगी। मुनाफा कमाना उसकी जरूरत है या फिर जनता से जुड़े मुद्दे उठाना। बिजनेस के तौर-तरीकों ने मीडिया की साख पर सवाल खड़े कर दिए। शुरुआत में साख का डगमगाना सत्ता की चकाचौंध में…

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पंचतत्व: हिंदुओं को स्वर्ग ले जाने वाली वैतरणी नदी कहां पर है?

मंजीत ठाकुर हिंदुओं के लिए स्वर्ग के द्वार खोलने वाली वैतरणी नदी ओडिशा में भी है और महाराष्ट्र में भी. रावी, व्यास और सतलज हांगकांग में भी हैं और कर्नाटक की अधिकांश नदियों के नाम वैदिक संस्कृत में हैं. जाहिर है, नदियों के नाम इतिहास के सूत्र छोड़ते हैं. भाषा विज्ञानियों को इस दिशा में…

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रामवृक्ष बेनीपुरी : ऐसा कलम का जादूगर जिसका साहित्य हमेशा उचित सम्मान से वंचित रहा

कविता रामवृक्ष बेनीपुरी, प्रेमचंद की श्रेणी के ही लेखक थे जिनकी रचनाओं में हमारे देश की आत्मा यानी गांवों का इतनी बहुलता से और इतना जीवंत वर्णन मिलता है.यह काफी अफसोस की बात है कि रामवृक्ष बेनीपुरी के जीते-जी और उनके बाद भी इन कहानियों का उस तरह मूल्यांकन नहीं हुआ. समकालीनों द्वारा उनके ऊपर…

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निजीकरण के दौर में शिक्षक दिवस- प्रभाकर चौबे

      5 सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है। अब शिक्षक दिवस ने राष्ट्रीय त्योहार का रूप ले लिया है। इसे एक तरह से राष्ट्रीय त्योहार का दर्जा मिल गया है। शिक्षक दिवस अब विद्यालयों तक ही सीमित नहीं है। पहले केवल स्कूलों में ही शिक्षक दिवस मनाया जाता था। पहले प्राथमिकता हाई स्कूल…

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क्यों यह कहना गलत है कि अर्थव्यवस्था के बुरे हाल के लिए सरकार नहीं सिर्फ कोरोना जिम्मेदार है?

अजय कुमार अर्थव्यवस्था के ऐसे बुरे हाल के पीछे कोरोना का बहुत बड़ा हाथ रहा। इस तर्क से किसी को कोई परेशानी नहीं है। लेकिन इसका दोष सरकार को नहीं दिया जाना चाहिए, सरकार से सवाल नहीं पूछा जाना चाहिए। यह बिल्कुल गलत है। हमारे लोकतंत्र के बहुत सारी परेशानियों में से एक अहम परेशानी…

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