अन्तॉन पावलेविच चेखव (1860-1904) रूसी कथाकार और नाटककार अन्तॉन पावलेविच चेखव विश्व के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं। चेखव के लेखन में अपने समय का जैसा गहन और मार्मिक वर्णन मिलता है। चेखव की संवेदना में मानवीयता का तत्व इतना गहरा है कि वे बहुत त्रासद स्थितियों में भी सूरज की थोड़ी […]
Read MoreBy- पुष्पेन्द्र 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के वक्त प्रवासी श्रमिकों के आवागमन की अनदेखी कोई भूल, बेवकूफी, या हड़बड़ में गड़बड़ जैसी बात नहीं थी। यह महामारी की आड़ में शुरू से ही श्रमिकों पर शिकंजा कसने की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी। इसे अब राष्ट्र निर्माण के महान, उच्च लक्ष्य के रूप […]
Read MoreBy- सत्यम श्रीवास्तव देश का संविधान क्या अपने नागरिकों की इस दुर्दशा पर आपसे आँखें मूँद लेने की उम्मीद करता है या देश का संविधान अपने नागरिकों के गरिमामय जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता को बार बार स्थापित किए जाने के लिए आपके न्यायालय का रास्ता नागरिकों को दिखाता है? माननीय सर्वोच्च न्यायालय से […]
Read Moreसुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें […]
Read MoreBy-इला पटनायक एवं राधिका पांडेय ऐसा लगता है कि सरकार शहरों की भीड़ कम करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों के कल्याण और बेरोज़गारी सहायता के लिए कोई कार्यक्रम घोषित नहीं किए गए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के घोषित आर्थिक पैकेज में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति विशेष झुकाव, उद्योगों के लिए मुख्य […]
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