एल. एस. हरदेनिया वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम चाहिए’। इस प्रदर्शन में दो लाख लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारियों में अश्वेत और श्वेत दोनों शामिल थे। अश्वेत90 प्रतिशत और श्वेत 10 प्रतिशत थे। प्रदर्शनकारियों […]
Read Moreनथमल शर्मा ये आख़िरी शब्द है जार्ज फ्लायड के । 46 बरस के इस अश्वेत की गर्दन एक गोरे पुलिस अफ़सर ने अपने घुटनों से दबाई है । जार्ज अपना जीवन बचाने गुहार लगा रहा है । पर उसका अपराध शायद काला होना था और वह वहीं मर गया । उसकी मौत के […]
Read Moreकोई 10-15 साल पहले मैंने कम्युनिस्ट आंदोलन पर कुछ व्यंग्य कथाएं लिखी थीं। वे बहुत कम छपी है। उनमें से एक कथा भाषा पर भी है।उस कथा को फेसबुक पर लगाने की बात सोच रहा था कि ध्यान आया दरअसल वह एक पूरी सीरीज़ है और उस पर समग्रता में ही बात हो सकती है। […]
Read Moreपंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केन्द्र लरकार की नई कृषि नीति को सिरे से खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रेस से बात करते हुए केंद्र सरकार की जोरदार मुखालफत की। उन्होंने कहा, ‘केंद्र, राज्यों को विश्वास में लिए बगैर फैसले कर और उन्हें थोप रहा है। यह […]
Read Moreजस्टिस मार्कंडेय काटजू केरल में गर्भवती हथिनी की मौत को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की गई। ठीक उसी तरह जिस तरह कुछ लोगों ने कोरोना महामारी के दौरान तब्लीग़ी जमात को दोषी ठहराते हुए की थी। हथिनी स्पष्ट रूप से ग़लती से मारी गयी थी, जानबूझकर नहीं। इसके बावजूद, कुछ लोग इस प्रकरण को सांप्रदायिक मोड़ […]
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