Day: September 17, 2020

कहानीः कानून के दरवाजे पर- फ़्रेंज़ काफ़्का

September 17, 2020

फ्रैंज काफ्का (3जुलाई 1883- 3 जून 1924)ः बीसवीं सदी के प्रभावशाली जर्मन कथाकार, उपन्यासकार थे। उनकी रचनाऍं आधुनिक समाज की व्यग्रता, अलगाव को चित्रित करतीं हैं। काफ्का की कृतियों ने साहित्य में जादुई यथार्थ, फंतासी लेखन का मार्ग प्रशस्त किया। आलोचकों का मानना है कि काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक है।आज पढ़ें नकी […]

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पेरियार : जिन्हें एशिया का सुकरात कहा जाता है

September 17, 2020

अनुराग भारद्वाज पेरियार को राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती और विनोबा भावे सरीखे समाज सुधारकों की पांत में रखा जाता है. लेकिन वे एक मंझे हुए राजनेता भी थे पेरियार महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर कांग्रेस में शामिल हुए थे. बाद में पेरियार ने 1938 में जस्टिस पार्टी का गठन किया. फिर 1944 […]

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा – अगर सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं तो यह राष्ट्रीय नायकों का अपमान है

September 17, 2020

राज्य सभा में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के लिखित बयान के जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक विज्ञप्ति जारी करके बताया है कि कोरोना के कारण देश में अब तक 382 डॉक्टरों की मौत हो चुकी जबकि इस बीमारी से अब तक 2,238 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं। राज्यसभा […]

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कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शनः कई किसान नेता गिरफ्तार

September 17, 2020

संसद में पेश किए गए तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ समेत कई किसान नेताओं को जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं और किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ये सभी किसान नेता कल (17 सितम्बर) कृषि अध्यादेशों के खिलाफ संसद मार्च निकालने की तैयारी में थे। प्रदर्शन के दौरान […]

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अलविदा, कपिला वात्स्यायन -मंगलेश डबराल

September 17, 2020

कला विदुषी कपिला वात्स्यायन का निधन हो गया। 25 दिसंबर, 1928 को पंजाबी पारंपरिक परिवार में जन्मी वात्स्यायन ने भारतीय कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।मौजूद समय में जब संस्कृति के संसार में एक भीषण बंजर फैला हुआ है और संस्कृति के नाम पर निकृष्ट हिंदुत्व की हुंकार मची है, कपिला जी जैसी सभ्यता-बहुल व्यक्तित्व का […]

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भारत में लोग बुद्धिजीवियों से इतनी नफरत क्यों करने लगे हैं?

September 17, 2020

विकास बहुगुणा इन दिनों समाज के एक बड़े तबके में बुद्धिजीवी निंदा और कटाक्ष का विषय हैं .‘एक वक्त था, जब मूर्ख होना गाली था. अब बुद्धिजीवी होना गाली है…. बात गाली तक होती तब भी ठीक था. समाज में बुद्धिजीवियों से नफरत इस तरह है कि उन्हें मिटाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.’ […]

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