गत 5 जुलाई 2021 को भारतीय मानवाधिकार आंदोलन ने अपना एक प्रतिबद्ध, सिद्धांतवादी और अथक योद्धा खो दिया. फॉदर स्टेनीलॉस लोरडूस्वामी, जो स्टेन स्वामी के नाम से लोकप्रिय थे, ने मुंबई के होली स्पिरिट अस्पताल में अंतिम सांस ली. जिस समय वे अपनी मृत्युशैया पर थे उस समय उनकी जमानत की याचिका पर अदालत में […]
Read Moreपहले वाले दौर के फासीवादी आंदोलनों ने अपनी शुरूआत बड़ी पूंजी के खिलाफ आंदोलनों के रूप में की थी। लेकिन अब के नव-फासीवादी तथा धुर-दक्षिणपंथी आंदोलन शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ–जो जनता को बेरोजगार बनाए रखती है-जायज गुस्से को भुनाने का कोई प्रयास करती नहीं दिखाई देती हैं। पिछले कुछ अर्से में दुनिया भर में धुर-दक्षिणपंथी, […]
Read More“ख्वाजा अहमद अब्बास को लाल बहादुर शास्त्री ने राजस्थान में पानी की समस्या पर केंद्रित फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया और इस तरह “दो बूँद पानी” फिल्म का निर्माण हुआ। यह जिक्र अब्बास ने खुद अपनी बायोग्राफी “आय एम नॉट एन आयलैंड” में किया है जिसका हिंदी और उर्दू अनुवाद “मैं जजीरा नहीं हूँ” […]
Read Moreयूसुफ़ अंसारी इस तरह की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट कई बार कर चुका है। यह पहली बार है कि वह राजद्रोह के क़ानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट पहले कई बार राजद्रोह क़ानून को ख़त्म करने संबंधी याचिकाओं को खारिज कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने […]
Read Moreआलोक शुक्ला बहुत कम अभिनेता या अभिनेत्री होते हैं जिनकी काया भी बोलती है, अभिनय के मामले में सुरेखा सीकरी एक ऐसी ही अभिनेत्री थीं जिन्हे आज की पीढ़ी दादी मां के रूप में जानती और खूब प्यार करती थी। रंगमंच की यह सशक्त हस्ताक्षर, समानांतर सिनेमा की मजबूत स्तंभ और जनमानस के दिलों में […]
Read Moreसुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि देश के आज़ाद होने के 75 साल बाद भी क्या राजद्रोह के क़ानून की ज़रूरत है। अदालत ने कहा कि यह क़ानून औपनिवेशिक है और ब्रिटिश काल में बना था। अदालत ने कहा है कि वह इस क़ानून की वैधता को जांचेगी और इस मामले में केंद्र सरकार का जवाब भी […]
Read Moreपिछले कुछ दशकों से ‘लव जिहाद’ के नाम पर समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकृत किया जा रहा है और महिलाओं और लड़कियों को उनकी जिंदगी के बारे में स्वयं निर्णय लेने से रोका जा रहा है. साम्प्रदायिक राजनीति अपने पितृ सत्तात्मक एजेंडे को आक्रामक ढंग से लागू कर रही है। कानपुर में एक हिन्दू […]
Read Moreअनिल जैन योगी सरकार ने अपने अभी तक के कार्यकाल में आम तौर पर अपना हर कदम ध्रुवीकरण को ध्यान में रख कर ही उठाया है। जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए भी वह यही करने जा रही है। इस काम में ढिंढोरची मीडिया भी उसका मददगार बना हुआ है। उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल […]
Read Moreअनुराग भारद्वाज महान फिल्मकार बिमल रॉय अपने आप में एक संस्था थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा को सलिल चौधरी, ऋषिकेश मुखर्जी, ऋत्विक घटक और गुलज़ार जैसे कई नायाब लोग दिए सन 1953 में आई ‘दो बीघा ज़मीन’ ने दुनिया भर के फ़िल्मकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इस फिल्म के जरिये पहली बार हिंदुस्तानी सिनेमा […]
Read Moreअजय कुमार राजनीतिक समीकरण के आधार पर कुछ लोग कुछ दिन मंत्री रहते हैं उसके बाद बदल दिए जाते हैं। बाकी सब जस का तस रहता है। जनता को कोई फायदा नहीं होता।मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल हो गया है। कुछ नए मंत्री आए हैं और कुछ पुराने मंत्री चले गए हैं। मोदी सरकार […]
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