रविकान्त पंचायती राज व्यवस्था को राजनीति के विकेंद्रीकरण के लिए ज़रूरी माना गया। लेकिन पंचायत चुनाव के कारण गाँवों में गुटबंदी बढ़ी है। प्रतिद्वंद्वी और उसके समर्थकों पर हमले चुनाव और उसके बाद भी होते रहते हैं। गाँवों में वैमनस्यता बढ़ी है। चुनाव में शराब के कारण लड़ाई झगड़े भी बढ़ जाते हैं… देश के […]
Read Moreदिनेळ द्विवेदी हर विधायिका के पास ख़ुद को नियंत्रित करने की शक्ति होती है, लेकिन दिल्ली में इस शक्ति का दमन लेफ़्टिनेंट गवर्नर की सहूलियत के लिए किया जा रहा है। एक पूर्ण केंद्रीयकृत सरकार में लोकतांत्रिक प्रतिगमन लगातार बढ़ता हुआ दिखाई देता है। हम सत्ता द्वारा असहमति के लिए बढ़ती असहिष्णुता के गवाह बन […]
Read Moreअजय गुदावर्ती कांग्रेस मध्य-मार्ग से चल कर शून्य-वाद तक पहुंच गई है: उसने अपने ऐसे किसी नैरेटिव या नेतृत्व का दमखम बमुश्किल ही दिखाया है जिससे कि भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सके।भारतीय राजनीति में दक्षिणपंथी रूपांतरण कितना भयानक है? क्या भारतीय जनता पार्टी का देश की सत्ता में मौजूदा दखल आगे […]
Read Moreहाल में जारी अपनी रिपोर्ट में ‘फ्रीडम हाउस’ ने भारत का दर्जा ‘फ्री’ (स्वतंत्र) से घटाकर ‘पार्टली फ्री’ (अशंतः स्वतंत्र) कर दिया है. इसका कारण है भारत में व्याप्त असहिष्णुता का वातावरण और राज्य का पत्रकारों, विरोध प्रदर्शनकारियों और अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार. गत 19 मार्च को झांसी रेलवे स्टेशन का घटनाक्रम इसी स्थिति को […]
Read Moreअजीत सिंह कोविड के बाद की दुनिया में लोकलुभावन नेताओं ने महामारी के बहाने अपनी शक्तियों को संकेंद्रित और अपनी व्यक्तिगत नौकरशाही प्रणाली को मजबूत कर लिया है। भारतीय लोकतंत्र के गिरते स्तर पर हो रही बहस पर दो पश्चिमी विशेषज्ञ समूहों की तरफ़ से जारी हालिया रिपोर्टों में प्रकाश डाला गया है, अजीत सिंह […]
Read Moreआकार पटेल केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया के लिए जो नए नियम बनाए हैं, उसे एक तरह से देश में स्वतंत्र मीडिया पर नियंत्रण की व्यवस्था माना जा सकता है। जबकि सरकार की पसंदीदा खबरें लिखने-दिखाने के लिए हर महीने अखबारों-चैनलों को 200 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। मैंने हाल ही में एक किताब लिखने […]
Read Moreभारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, पूरे देश मे लॉकडाउन लग जाए लेकिन ये आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वे लोग इसे शाहीन बाग की तरह महामारी की आड़ में शत्म करना चाहते हैं जो हम होने नहीं देंगे। जो भी कोरोना गाइडलाइंस होंगी उसका पालन आंदोलन स्थलों पर […]
Read Moreएम.ए. समीर “हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं….” जिगर मुरादाबादी ने हमेशा फिल्मी दुनिया से दूरी बनाए रखी ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे इक आग का दरिया है और डूब के जाना है यह एक बहुत ही मशहूर शेर है, जिसे न सिर्फ खत-ओ-किताबत के दौरान खूब इस्तेमाल किया गया, […]
Read Moreएम.ए. समीर किसान-कवि, लेखक और निर्भीक पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी राजद्रोह में जेल गए, CM पद ठुकराया और सम्मान लौटाया शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसने स्कूली शिक्षा के दौरान या फिर साहित्य-अध्ययन के दौरान ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता न पढ़ी हो. चाह नहीं मैं सुरबाला के, गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी-माला में […]
Read Moreअजय कुमार वही हो रहा है जिसकी आशंका बहुतेरे लोगों ने जताई थी। सरकारी कंपनियां निजी कंपनियों में बदलेंगे तो सबसे पहले आरक्षण पर ही हमला होगा। उसे ही किनारे लगाया जाएगा। अपना नाम ना बताने की शर्त पर तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने मीडिया में यह बयान दिया है कि सरकार ने सरकारी कंपनियों के […]
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