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Month: August 2020

क्या शाहीन बाग आन्दोलन को भाजपा ने प्रायोजित किया था? – राम पुनियानी

आम आदमी पार्टी – बल्कि ज्यादा सही कहें तो अरविन्द केजरीवाल – ने गत 17 अगस्त को आरोप लगाया कि दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरुद्ध जो आन्दोलन चला था वह भाजपा द्वारा प्रायोजित था. उन्होंने कहा, “विधानसभा चुनाव में उत्तर-पूर्वी दिल्ली की कुछ सीटें पर भाजपा की जीत का…

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अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए संघर्षरत प्रशांत भूषण के समर्थन में मौन प्रदर्शन

हम प्रशांत भूषण के साथ खड़े  हैं..  नारे के साथ राजधानी के बौद्धिक और सामाजिक संगठनों ने हम भारत के लोग मंच के तहत प्रदर्शन किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह वक्त देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े होने का है ।      *हम प्रशांत भूषण…

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वरवरा राव जैसी शख़्सियत का बनना: भाग एक

एन॰ वेणुओगोपाल राव( अनुवाद) महेश कुमार वरवरा राव (जिन्हें हिंदी-अंग्रेज़ी में वरवर और वरावरा भी लिखा जा रहा है), जैसे विद्वान साहित्यकार के रूप में उनका जीवन बहुत कम उम्र में शुरू हो गया था। शुरू में, वे मेरे लिए सिर्फ एक मामा थे जो मेरे साथ खेलते थे; मेरी माँ के सबसे छोटे भाई बस वही और कुछ नहीं। हालाँकि, तब से…

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ऐसा क्यों है कि लोग ‘टेढ़ी लकीर’ को भी इस्मत चुगतई की आत्मकथा मानते हैं?

कविता इस्मत चुगतई ने बाकायदा अपनी आत्मकथा लिखी है – ‘कागजी है पैरहन’ पर बावजूद इसके ‘टेढ़ी लकीर’ को हमेशा उनकी आत्मकथा की तरह पढ़ा जाता रहा. कारण यह कि इसकी नायिका शम्मन की जिंदगी और उसकी शख्सियत इस्मत चुगतई के जीवन और स्वभाव से बहुत ज्यादा करीब दिखती है. इतनी कि लोगबाग शम्मन में…

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अनुच्छेद-370 हटे एक साल हुआ फिर भी कश्मीर में मिलिटेंसी कम होती क्यों नहीं दिखती है?

सुहैल ए शाह अनुच्छेद-370 हटाते वक्त कहा गया था कि इससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का भी अंत हो जाएगा. क्या एक साल बाद उस दिशा में कोई प्रगति हो सकी है? पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद-370, जो भारत के संविधान में जम्मू-कश्मीर को एक विशेष स्थिति प्रदान करता था, हटाने के कुछ दिन बाद…

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शेख़ इब्राहिम ‘ज़ौक़’: बहादुर शाह ज़फर का वो उस्ताद जिसके चलते कई लोग उन्हें शायर ही नहीं मानते

अनुराग भारद्वाज ज़ौक न तो शायरी में किसी से कम थे और न मुफ़लिसी में. पर उन्होंने न तो कभी ग़ालिब की तरह अपनी ग़ुर्बत का ढोल पीटा और न वजीफ़े के लिए हाथ-पैर मारे । ज़ौक़, यानी शेख़ मुहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’. जी, हां. वही, बहादुर शाह ज़फर के उस्ताद. उनके बारे में शायरी के…

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दिल्ली दंगाःदेवांगना के कथित भड़काऊ भाषण का कोई वीडियो अदालत में पेश नहीं कर पाई दिल्ली पुलिस

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पिंजरा तोड़ की सदस्य और जेएनयू की शोध छात्रा देवांगना कालिता की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की ओर से वीडियो मांगने पर पुलिस ने कहा कि उसके पास उस समय के कोई वीडियो नहीं हैं जिससे साबित हो कि पिंजरा तोड़ समूह के लोग और देवांगना कालिता, दंगों…

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फ़ेसबुक का गहराता संकटः हेट स्पीच पर मुसलिम कर्मचारियों की बग़ावत

हेट स्पीच से जुड़े चुनिंदा पोस्ट को प्लैटफ़ॉर्म से नहीं हटाने के मुद्दे पर फ़ेसबुक का संकट गहराता जा रहा है। अब इसके अपने कर्मचारियों ने बग़ावत का झंडा बुलंद कर दिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक ख़बर में कहा है कि फ़ेसबुक के मुसलमान कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन को इस मुद्दे पर एक…

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परसाई : लेखन से झांकता समय – प्रभाकर चौबे

व्यंग्य पुरोधा हरिशंकर परसाई के लेखन पर उन्हीं की परम्परा के प्रतिष्ठित व्यंग्यकार प्रभाकर चौबे का आलेख –  “मैं ऐसा मानता हूँ कि परसाई जी का लेखन भी एक्टीविज्म का एक जरूरी हिस्सा रहा । वे अपने लेखन को एक्टीविज्म के एक हिस्से के रूप में लेते थे और इसी कारण उनका लेखन मनोरंजन…

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शशि थरूर के नेतृत्व में संसद की स्थायी समिति आगामी 2 सितंबर को फेसबुक प्रतिनिधियों से ‘सोशल मीडिया के दुरुपयोग’ पर करेगी चर्चा

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की अध्‍यक्षता वाली समिति दो सितंबर को फेसबुक प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी और ‘सोशल मीडिया के दुरुपयोग’ को लेकर चर्चा करेगी। विदित हो कि बीजेपी और दक्षिणपंथी नेताओं के भड़काऊ कंटेंट को सोशल मीडिया साइट में बनाए रखने संबंधी विवाद के मद्देनजर फेसबुक को समन जारी किया…

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