अनुराग भारद्वाज बीसवीं सदी में शायरी के दो ख़ास मुक़ाम आये. एक तरक्की पसंद और दूसरा जदीद. पहली तरह की शायरी वह थी जो सर्वहारा की जुबां है. दूसरी, वह जो इंसानी जड़ों को तलाशती है, आसमान से लेकर ज़मीन तक वे तमाम सवालात करती है जिन्होंने आम इंसान को परेशान कर रखा है. वह […]
Read Moreकोरोना के चलते मुंबई में फिल्मों की शूटिंग बंद है जिससे लाइटमैन, कैमरा, मेकअप आर्टिस्ट जैसे तमाम डेली वेजर्स की मदद के लिए हाथ उठे. लेकिन उनका क्या जो नए नए यहां हीरो-हीरोइन बनने आए थे?ये कलाकार ना तो डेली वेजर्स में गिने जाते हैं और ना ही फिलहाल किसी यूनिट के सदस्य हैं. इसलिए […]
Read Moreमशहूर निर्माता निर्देशक शेखर कपूर ने कहा कि सुशांत में एक अजीब सी रेस्टलेसनेस थी उसमें. वो मेरे साथ प्रोडक्शन डिजाइन की मीटिंग में होता था फिर वीएफएक्स की मीटिंग में होता था, वर्कशॉप में भी होता था. उसमें सीखने की जबरदस्त ललक थी और उसके अंदर चीजों को लेकर ऐसी उत्सुकता थी जो आपको बच्चों […]
Read Moreमैं बैठा हूँ। सामने वह बैठी है। दावत खत्म हो चुकी है और लोग जा चुके हैं। मगर लगता है हर व्यक्ति अपनी एक एक आहट और एक-एक परछाई छोड़ गया है। हम अकेले हैं मगर इन आकृतियों और आहटों से घिरे हुए हैं। मैं सोफे पर हूँ, वह सामने दीवान पर पैर […]
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