उर्मिलेश आमतौर पर दलीय-राजनीतिज्ञ इस तरह से सच नहीं बोला करते! लेकिन भाजपा वाले उनके सच बोलने से भी नाराज़ हैं। …लेकिन इतना ही नहीं अपने कहे का जवाब तलाशने के लिए राहुल गांधी को अपने उत्तर-भारतीय समाज और स्वयं अपने दलीय राजनीतिक इतिहास में झांकने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का आलेख केरल […]
Read Moreदिशा रवि की जमानत पर रिहाई जितनी महत्वपूर्ण घटना है, उससे कम महत्वपूर्ण नही है दिल्ली की अदालत के जज धर्मेन्द्र राणा का ऐतिहासिक जजमेन्ट. इन दोनों घटनाओं से कहीं कम नही है दिशा रवि की मां मंजुला का अपनी बेटी का साथ देता बहादुराना बयान! किसान आंदोलन के समर्थन पर मां-बेटी आज भी अडिग […]
Read Moreआशुतोष वार्ष्णेय स्टीवन लेवित्स्की और डैनिएल ज़िब्लाट की किताब ‘हाऊ डेमोक्रेसीज़ डाई’ में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह लोकतांत्रिक रूप से चुने गए लोग ही लोकतंत्र को अंदर से ध्वस्त कर रहे हैं और वह भी क़ानूनी रूप से। क्या यह बात भारत के परिप्रेक्ष्य में भी प्रासंगिक है? ‘इंडियन एक्सप्रेस‘ में […]
Read Moreएम.ए. समीर हिंदी साहित्य में महान कथाकार अमृतलाल नागर का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है अगर यह कहा जाए कि उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद की अमर कृति ‘गोदान’ की तुलना का कोई उपन्यास है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह उपन्यास महान साहित्यकार अमृतलाल नागर का ‘मानस का हंस’ है. हिंदी साहित्य […]
Read Moreनाज़मा ख़ान ”ये हमारी चॉइस नहीं है कि हमें एक्टिविस्ट बनना है, लेकिन अगर आपको जीना है, तो हर ग़लत के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा।” यह कहना है नौदीप की बहन राजवीर कौर का। नाज़मा ख़ान ने उनसे मुलाकात और बात की। मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं […]
Read Moreशुभम उपाध्याय उस मुलाकात के वक्त सैयद हैदर रज़ा साहब की सेहत बेहद नासाज थी, लेकिन चित्रकारी और उसके बहाने खुद को अभिव्यक्त करने को लेकर उनका उत्साह तब भी चरम पर था जो सैयद हैदर रज़ा के काम में गहरी दिलचस्पी रखते आए हैं उन्होंने एक बात पर गौर किया होगा. वह बात यह […]
Read Moreविभूति नारायण राय 1962 की शर्मनाक हार का देश के मनोबल पर क्या असर पड़ा, हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। बजाय इतिहास को दोहराते हुए सरकार को युद्ध के लिए कूद पड़ने को मजबूर करने के हमें उसे याद दिलाते रहना होगा कि उसके लिये जितना ज़रूरी सीमाओं की हिफ़ाज़त करना है उससे कम ज़रूरी […]
Read Moreकृषि क़ानूनों को ख़ारिज करने का मतलब यह भी होगा कि भाजपा सरकार को कुछ महत्वपूर्ण नव-उदारवादी क़दमों को वापस लेना होगा।नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले तो छोटे उत्पादन क्षेत्र की लाभप्रदता पर खुला हमला बोला जिसमें पहले नोटबंदी की गई, फिर इस क्षेत्र पर असमान जीएसटी लगा दिया, और अब अंत में इसके माध्यम […]
Read Moreकांग्रेस को उम्मीद है कि इसके जरिये वह बीजेपी और उसकी आईटी सेल द्वारा उसे पाकिस्तान परस्त बताए जाने के आरोपों का जोरदार जवाब दे सकेगी। साथ ही वह यह भी बताएगी कि बीजेपी के राज में राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह कमजोर हुई है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने […]
Read Moreअरविंद कुमार आज दुनिया में किसानों की छवि खराब करने की साजिश के हल्ले के बीच यह जानना दिलचस्प है कि करीब 60 साल पहले एक अमेरिकी शोधार्थी वाल्टर हाउजर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय अकादमिक जगत में भारत के किसान आंदोलन की आवाज उठाई थी। उसके बाद से सत्तर के दशक में अकादमिक जगत में […]
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