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Year: 2020

जनगणना फार्म में ‘आदिवासी’ धर्म का कालम क्यों न हो – राम पुनियानी

इन दिनों पूरे देश में एनपीआर-एनआरसी-सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी के समांतर, सन 2021 की दशकीय जनगणना की तैयारियां भी चल रहीं हैं. आरएसएस द्वारा एनपीआर, एनआरसी और सीएए का समर्थन तो किया ही जा रहा है, संघ यह भी चाहता है कि जनगणना कर्मी जब आदिवासियों से उनका धर्म पूछें…

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पुलवामा हमले में शहीद की पत्नी सड़क पर बेच रही सब्जियां

आप यकीन करेंगे, घोर राष्ट्रवाद के इस दौर में शहीद की पत्नी विमला देवी सड़क पर सब्जियां बेच रही हैं। जिस दौर में देश के हर स्टेशन पर तिरंगे की ऊंचाई सैकड़ों मीटर तक पहुंच रही है उस दौर में शहीद की पत्नी सौ-दो सौ रुपए की जुगाड़ के लिए तराजू ले आलू-मटर तौलने के…

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संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा- अनिल सदगोपाल

अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को…

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छत्तीसगढ़ से शुरु हार का सिलसिला दिल्ली तक

  साल 2018 के दिसंबर से शुरू हुआ बीजेपी के विधानसभा चुनाव में हार का सिलसिला 2020 में भी जारी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी  को करारी मात दी है. दिल्ली की हार के साथ ही  बीजेपी को 2018 के बाद हुए विधानसभा चुनावों में से अब तक सात राज्यों…

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चेतना पर हावी हो रही है निर्ममता – कथाकार अखिलेश

दिल्ली। कहानियों के मार्फ़त हम अपने समय के यथार्थ को समझ सकें यह हमारे साहित्य के लिए भी आवश्यक है। हमें भूलना नहीं चाहिए कि इतिहासकार की तुलना में तमस और झूठा सच जैसे उपन्यास अधिक सच्ची और मानवीय दृष्टि से विभाजन जैसी घटना को समझने में हमारे लिए सहायक हैं। सुप्रसिद्ध कथाकार और ‘तद्भव’…

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शाहीन बाग का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नागरिकता संशोधन कानून के विरोद में करीब दो महीने से शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट से शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील की है।वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने संबंधी…

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पहले पास्को, अब जिंदल : ढिंकिया के ग्रामीण अब भी अपनी जमीन बचाने के लिए सघर्षरत

पास्को विरोधी आंदोलन के सदस्य  पोस्को से अपनी लड़ाई जितने के बाद फिलहाल जिंदल की जेएसडब्ल्यू कंपनी द्वारा प्रस्तावित पांच परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि जेएसडब्ल्यू द्वारा प्रस्तावित परियोजनाएं आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी के मानकों पर अधूरी हैं। सबरंग इंडिया से साभार रिपोर्ट जिसका हिंदी अनुवाद विभांशु केशव ने किया है; मैसर्स जेएसडब्ल्यू उत्कल स्टील…

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मौलिक अधिकार लगाते हैं राज्य की शक्तियों पर अंकुश-फैज़ान मुस्तफा

किसी भी देश का संविधान, नागरिकों और राज्य के बीच एक पवित्र बंधन है। इसके साथ ही वह एक संविदा भी है। संविधान की संकल्पना हॉब्स, लॉक और रूसो द्वारा दिए गए “सामाजिक संविदा” के सिद्धांत के आधार पर मूर्त रूप ले पाई। उनके अनुसार, राज्य की उत्पत्ति इसलिए हुई कि जो प्राकृतिक व्यवस्था थी,…

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कुछ तो बदल रहा है—- सुभाषिनी सहगल अली

असहिष्णुता जैसी थी, वैसी ही है। अपनी बात कहने और दूसरों की बात अनसुनी कर देने की आदत बनी हुई है। अपने को देशभक्त और आलोचक को देशद्रोही ठहराने की प्रक्रिया ज्यों की त्यों है। प्रदर्शनकारियों से ‘बदला’ लेने की घोषणा अब भी गूंज रही है। विरोध करने वालों को आतंकित करने का रवैया नए…

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बर्लिन दीवार गिराने के 30 साल बाद- इनेस पोल

जिस किसी ने भी सोचा था कि बर्लिन की दीवार और सलाखों के पहरे हटाने से सीमाएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी, वह गलत साबित हुआ है. दीवार गिरने के 30 साल बाद, आज हमें उसका उल्टा दिखाया जा रहा है और सीमा की दीवारें वापसी कर रही हैं. सिर्फ अमेरिका-मेक्सिको की सीमा पर ही…

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